आज साहिल अपनी पढाई पूरी करने शहर आया था। उसने एक छोटी सी कालोनी में एक कमरा किराये पर ले लिया किराया भी बहुत कम था।
साहिल पहली बार घर से दूर रहने आया था ।उसे खाना बनाने का भी तजुर्वा नही था। घर तो खाना भी बनाहुआ मिलता था कपडे़ भी माँ या बहिन धो देती थी। इस लिए उसे काम करने की आदत नहीं थी।
अब यहाँ तो स़़फाई से लेकर कपडे़ धोना व खाना बनाने तक का काम स्वयं ही करना पड़ता था। उसी मकान से कुछ दूरीपर एक परिवार रहता था वह सर्दियौ में समौसे व गर्मियौ में कुल्फी बेचता था। उसकी एक लड़की और एक बेटा था।
साहिल ने एकदिन देखा कि वह लड़की उसे निहारती रहती थी। साहिल ने इस बात पर अधिक गौर नही किया बैसे भी घर का सारा काम व कालेज जाना इससे वह थक जाता था । इसलिए इन बातौ पर ध्यान देने का समय नही मिलता था।
मै तुम्हारे पडौ़स मे रहती हूँ माँने यह पूछने भेजा है कि तुम मेरे भाई को टायूशन पढा़ सकते हो ? "
साहिलको उसका इसतरह बेबाक बात करने पर अचम्भा हुआ और बोला," मेरे पास समय नही है ?"
" बाबू मे तुम्हारे घर की सफाई व बर्तन साफ कर दिया करूँगी रोटी भी बनादूँगी फिर तो टाइम मिल जायेगा।"
साहिल बोला ," कपडे भी धोदोगी तब मै ट्यूशन पढा़दूँगा। :" साहिल को भी काम करने में परेशानी होती थी।
वह तैयार होगयी और साहिल उसके भाई को पढा़ने लगा। बच्चा होशियार था जल्दी पकड़ करलेता था। इससे ज्यादा मत्थापच्ची नहीं करनी पड़ती थी।
उस लड़की का नाम मौनिका था एक दिन साहिल ने उसका नाम पूछा तब वह बोली," वैसे तो मेरा नाम मौनिका है पर तुम मानू कहखर पुकारोगे तो अच्छा लगेगा। "
साहिल ने उसकी बातौ पर ज्यादा गौर नही किया क्यौकि वह पढा़ई करने आया था । परन्तु मौनिका उससे प्यार करने लगी थी।
एकदिन साहिल की एक दोस्त लड़की उससे मिलने आगयी उसे देखकर मौनिका को गुस्सा आने लगा।और उसके जाने के बाद मोनिका गुस्से से आँखें लाल करती हुई बोली," मै कल से काम नहीं कर पाऊँगी और मेरा भाई भी ट्यूशन पढ़ने नहीं आयेगा। "
साहिल ने जैसे-तैसे खाना बनाया। फिर खाकर कॉलेज चला गया। दोपहर को आया तो सीधा उसके घर चला गया। यह सोचकर की कारण तो जानू काम नही करने का।
उसके घर पहुंचा तो पता चला की वह बीमार है। एक छप्पर में चारपाई पर लेटी थी अकेली। घर में उसकी मम्मी थी जो काम में लगी थी। जब वह उसके पास पहुंचा तो उसने मुँह फेर लिया करवट लेकर।
साहील ने पूछा:-" दवाई ली क्या?"
"नही।" छोटा सा जवाब दिया बिना मेरी तरफ देखे।
उसने कहा "क्यों नही ली?
उसने कहा "मेरी मर्ज़ी। तुझे क्या?
"मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बतादो।"
"तुम सब समझते हो, फिर मैं क्यूँ बताऊँ।"
"कुछ नही पता। तुम्हारी कसम। सुबह से परेसान हूँ। बता दो।"
" नही बताउंगी। जाओ यहाँ से।" इस बार आवाज़ रोने की थी
उसने डरते-डरते उसके हाथ को छूकर देखा तो साहिल उछल कर रह गया। बहुत गर्म था। उहने उसकी मम्मी को पास बुलाकर बताया। फिर वह उसे हॉस्पिटल ले गए! डॉक्टर ने दवा दी और एडमिट कर लिया। कुछ जाँच वगेरह होनी थी। क्यूंकि शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे।
उसकी माँ घर चली गई। उसके पापा को बुलाने। साहिल उसके पास अकेला था। बुखार जरा कम हो गया था। वह गुमसुम सी लेटी थी। दीवार को घुर रही थी एकटक!!
साहिल ने उसखा हाथ अफने हाथ में लेलिया उसकी आँखों में आँसू आ गए।
साहिल ने भरे गले से पूछा:- " मानू बताओगी नही?"
उसने आँखों में आँसू लिए मुस्कराकर कहा:-" अब बताने की जरूरत नही है। पता चल गया है कि तुझे मेरी परवाह है। है ना?"
साहिल के होठों से अपने आप ही एक अल्फ़ाज़ निकला:-
" बहुत।"
उसने कहा "बस! अब में मर भी जाऊँ तो कोई गिला नही।" उसने साहिल के हाथ को कस कर दबाते हुए कहा।
उसके इस वाक्य का कोई जवाब साहिल के लबों से नही निकला। मग़र आँखे थी जो जवाब को संभाल न सकी। बरस पड़ी।
वह उठ कर बैठ गई और बोली रोता क्यूँ है पागल? मैने जिस दिन पहली बार तेरे लिए रोटी बनाई थी उसी दिन से चाहती हूँ तुझे। एक तू था पागल । कुछ समझने में इतना वक़्त ले गया।"
फिर उसने अपने साथ साहील के आँसू भी पोछे। फीर थोडी देर बाद उसके घर वाले आ गए। रात हो गई थी। उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ। फिर देर रात तक उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गई। बताया गया की उसे डेंगू है।
खून की कमी हो गई थी उसे। पर खुदा का शुक्र है की साहिल का खून मैच हो गया था । दो बोतल खून दिया।
उस रात वह अचेत सी रही।बार-बार अचेत अवस्था में उल्टियाँ कर देती थी।
डॉक्टरों ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है। खून और देना होगा। डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं । अगर प्लेटलेट्स खत्म तो पुरे शरीर के अंदरुनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है। फिर बचने का कोई चांस नही।
साहिल ने अपना और खून देने का आग्रह किया मग़र रात को दिया था इस कारण डोक्टर ने मना कर दिया । साहिल ने अपने कॉलेज के दो चार दोस्तों को बुलाया। साले दस एक साथ आ गए। खून दिया। हिम्मत बंधाई। पैसों की जरूरत हो तो देने का आश्वासन दिया और चले गए।
उस वक़्त पता चला दोस्त होना भी कितना जरूरी है। पैसों की कमी नही थी। घर से आ गए थे।
दूसरे दिन की रात को वो कुछ ठीक दिखी। बातें भी करने लगी।
रात को सब सोए थे। केवल साहिल ही उसके पास बैठा जाग रहा था।
उसने साहिल से कहा:- " पागल बीमार मैं हूँ तू नही। फिर ऐसी हालत क्यों बनाली है तुमने?"
साहिल ने कहा:-" तू ठीक हो जा। मैं तो ठीक हूँ।"
उसने उदास होकर पूछा ।:-" सुनते हो एक बात पूछू?""
साहिल ने पूछा ," क्या ?"
"तुझे एक बात याद है?"
"कौनसी?"
"दिल के आकार वाली रोटी की
"अब समझ में आ रहा है।"
"बुद्दू हो"
"हाँ"
फिर वह हँसी। काफी देर तक। निश्छल मासूम हंसी।
"कल सोए थे क्या?"
"नही।"
"अब सो जाओ। मैं ठीक हूँ मुझे कुछ न होगा।"
सचमुच नींद आ रही थीं।
मग़र साहिल सोया नही।
मग़र वह सो गई।
फिर घंटेभर बाद वापस जाग गई।
वह ऊंघ रहा था।
"सुनो ना?"
"हाँ। साहिल नींद में ही बोला।
"ये बताओ ये बीमारी छूने से किसी को लग सकती है क्या?"
"नही, सिर्फ एडीज मच्छर के काटने से लगती है।"
"इधर आओ।"
साहिल उसके करीब आ गया।
"एक बार गले लग जाओ। अगर मर गई तो ये आरज़ू बाकी न रह जाए।"
"ऐसा ना कहो प्लीज।" वह इतना ही कह पाया।
फिर वो मुझसे काफी देर तक लिपटी रही और सो गई।
फिर उसे ढंग से लिटाकर साहिल भी एक खाली बेड पर सो गया।
मग़र सुबह साहिल तो उठ गया। और वो नही उठी। सदा के लिए सो गई। साहिल ने उसे जगाने की बहुत कोशिश की थी। पर आँखे न खोली उसने। वो इस सँसार को छोडकर इस दुनिया से जा चुकी थी। साहिल को रोता बिलखता छोड़कर।.
Gunjan Kamal
19-Nov-2022 07:53 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
Reply
Mahendra Bhatt
19-Nov-2022 06:16 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
Reply
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
19-Nov-2022 04:41 PM
बहुत खूब
Reply